अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा रानी लक्ष्मीबाई की जयंती पर स्त्री शक्ति दिवस के रूप में संगोष्ठी का आयोजन किया गया.

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“नारी को अबला नहीं सबला बनना है” -500 से ज्यादा छात्राओ ने लिया भाग

खरगोन:-संजय बाबा यादव
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद खरगोन द्वारा रानी लक्ष्मीबाई जयंती पर स्त्री शक्ति दिवस के रूप में संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें 500 से अधिक छात्राओं ने सहभागिता की इसमें मुख्य रूप से खंडवा से मालवा प्रांत की राष्ट्रीय कला मंच प्रमुख श्रद्धा भमोरे एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में श्रीमती पूर्वा व्यास उपस्थित रहे शासकीय कन्या महाविद्यालय के सभागार में आयोजित स्त्री शक्ति दिवस के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य रूप से पधारी श्रद्धा भमोरे बताया कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद अपने स्थापना काल से ही रानी लक्ष्मीबाई जयंती स्त्री शक्ति दिवस के रूप में मनाता हुआ है हम देखते थे कि पुरातन काल में महिला सशक्तिकरण के लिए बहुत काम हुआ है वेदों की रचना है लिखने वाली मैत्रेई से लेकर , माता सीता, रानी चेन्नम्मा, रानी पद्मावती, मालवा की रानी देवी अहिल्या अनेकों उदाहरण स्त्रियों की वीरता के मिलते हैं इस वीरता में स्त्रियों को हमेशा अबला नहीं सबला बनना सिखाया है जो कि सभी बलों से परिपूर्ण हो जिसमें ज्ञान से लेकर वीरता तक सभी प्रकार में स्त्रियों परचम विश्व भर मे रहा है आज प्रशासनिक सेवा से लेकर हवाई जहाज उड़ाने तक का काम स्त्रियां कर रही है कल्पना चावला जैसी महिलाएं इस देश के लिए उदाहरण है जो की अंतरिक्ष यात्रा कर एक नया कीर्तिमान स्थापित करती है ऐसे ही अनेकों उदाहरण सदैव भारत की नारियों ने प्रस्तुत किया है जो भारत की नारियों को अपना समझते हैं कहते हैं कि नारी कमजोर है लेकिन आज सशक्तिकरण की एक बहुत बड़ी विषय नारी शक्ति है ममतामई मां से लेकर सेना में उच्च पदों तक नारी शक्ति का प्रतिशत बढ़ने लगा है प्रशासनिक सेवा में भी अपना परचम लहरा रही है आज सभागार में रानी लक्ष्मीबाई जयंती पर स्मरण करना चाहती हूं कि रानी लक्ष्मीबाई अपने राष्ट्र के लिए अपने देश के लिए अपने समाज के लिए बलिदान दे दिया तथा 24 वर्ष की आयु में इस देश के लिए शहीद हो गई अंग्रेजों से लोहा लेते हुए उनको दिल्ली तक पकड़ने का संकल्प लेते हुए युद्ध किया एवं ग्वालियर में शहीद हो गई लेकिन उनकी शहादत वीरांगना नारियों के लिए एक उदाहरण है लक्ष्मीबाई ने अपने साहस से नारियों को सशक्तिकरण की ओर प्रेरित किया तथा 1857 की क्रांति के बाद नारियों की सहभागिता अंग्रेजों से लड़ाई लड़ने में बढ़ गई रानी दुर्गावती से लेकर चेनम्मा तक स्वतंत्रता की लड़ाई में सहभागी रही आज जितना पुरुषों का योगदान भारत को आजाद कराने में हैं उतना ही योगदान महिलाओं का भी चाहे महात्मा गांधी की दांडी यात्रा में महिला सहभागिता हो चाहे आजादी की लड़ाई में चंद्रशेखर आजाद के साथ दुर्गा भाभी हो सभी ने महिलाओं को एकाग्र होकर एकता में बंधने का मंत्र दिया तथा भारत को आजाद कराने में पूरे देश को एक किया..


अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद मिशन साहसी एवं रितु मति अभियान के माध्यम से महिला सशक्तिकरण के लिए कार्य कर रही है मिशन साहसी में जहां हम 25 लाख से अधिक छात्राओं को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग देते हैं वही रितु बत्ती के माध्यम से महिला के स्वास्थ्य की चिंता भी करते हैं ऐसी महिला सशक्तिकरण का अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद कार्य कर रहा है विद्यार्थी परिषद में जहां राष्ट्रीय महामंत्री से लेकर एक नीचे तक की इकाई में छात्रा सहभागिता है और इस और सदैव से विद्यार्थी परिषद का चिंतन रहा है छात्र संघ चुनाव में सहभागिता हो या फिर महिला गोष्ठियों के माध्यम से जन जागरण का काम हर जगह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद महिला सशक्तिकरण के लिए कार्य कर रहा है
संगोष्ठी को स्त्री शक्ति दिवस के रूप में संबोधित करते हुए विशेष रूप से पधारी श्रीमती पूर्वा व्यास ने बताया कि रानी लक्ष्मीबाई देश के लिए शहीद हुए और समाज में एक प्रेरणा बन गई इस अवसर पर जिला संगठन मंत्री उदित पाराशर जी ,महाविद्यालय के प्राचार्य एमके गोखले जी, जिला संयोजक आकाश जी राठौड़, नगर मंत्री निर्मल जी चौहान, जिला जनजाति प्रमुख साक्षी खोड़े जी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन जिला कला मंच प्रमुख श्रेया सेन जी द्वारा किया गया।

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