सुनील जैन — हद्द है भारतीय इलेक्ट्रोनिक मीडिया के पतन की… आजतक व अन्य चैनल्स ने कल जो रिपोर्टिंग का “अतीक कांड” किया , आप क्या समझते हैं कि यह पत्रकारिता के लिए चिंता का विषय है या नहीं? सिर्फ आजतक नहीं सैकड़ों चैनल्स और न्यूज पेपर्स के लोग साबरमती से प्रयागराज भागते रहे… उफ्फ अत्यंत निंदनीय.. अतीक का एक्सलुसिव यूरीनेशन… हद्द पार कर दी बात सिर्फ इसकी नही की लाइव यूरीनेट करते हुए दृश्य दिखाया गया आपत्ति पूरे कवरेज की है जिसमें एक गुंडे को ग्लोरिफाई किया गया, लार्जर देन लाइफ बताया गया, इसपर फिल्म भी बन जाए तो अतिश्योक्ति न होगी। 2 दिन महत्वपूर्ण पूरे बिगाड़े गए, मानो लड़की मायके से ससुराल जा रही हो, हर पल की खबर? अरे नही चाहिए यार ऐसी बेहूदा पल पल की खबर… न्यूज़ चैनल्स को यह भी परवाह नहीं कि एक गुंडे को इतना महत्व देना है या नही। भारतीय महिलाओं ने 3 स्वर्ण जीते हैं उनके लिए तो ये पीछे नही भागते ?? सनसनी और टीआरपी के चक्कर में लोकतंत्र के स्तंभ का मृत्युशय्या की ओर बढ़ना बेहद चिंतनीय है।
इनके न्यूज संपादकों को क्या बीमारी हुई है???
पत्रकारिता का इतना निचला स्तर देखा है कभी??
भारत के प्रेस/ मीडिया संगठनों को इसका संज्ञान लेकर गाइडलाइंस तय करनी होगी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट भी हस्तक्षेप। कर ऐसे लाइव बंद कराए जिसमे अपराधी की वैन का पीछा कर व्यर्थ की रिपोर्टिंग होती हो।
वरिष्ठ पत्रकारों जो कि अभी भी गुण आधारित पत्रकारिता में हैं, से निवेदन है कि आप अपने सामर्थ्य और संबंधों के माध्यम से इन चैनल्स के शीर्ष संपादकों, मालिकों तक यह चिंता जताएं और उनका मार्गदर्शन विवेकपूर्ण तरीके से करें।

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