संगीत हमेशा बेधड़क होता है। किसी फिल्म के लिए इसे तैयार करने का कोई ठोस और एक जैसा नियम नहीं है गोवा में आज 53वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में ‘बीट्स एंड रिदम’ पर एक मास्टरक्लास को संबोधित करते हुए जाने माने संगीतकार और गायक जी. वी. प्रकाश कुमार ने कहा कि फिल्म के लिए संगीत तैयार करना कहानी और निर्देशक की मांग पर आधारित होता है।
जीवी ने कहा कि संगीत में कोई निरंतरता नहीं होती है, यह हमेशा परिस्थितिजन्य और गतिशील होता है। उन्होंने आगे कहा, ‘संगीत स्कोर को कहानी कहनी चाहिए, चरित्र की तस्वीर सामने रखनी चाहिए और स्थिति का औचित्य समझाना चाहिए। यह एक तरह से कहानी कहने की प्रक्रिया के पूरे अनुभव को समृद्ध करता है।’
जीवी ने आगे कहा कि संगीत हमारे जीवन और संस्कृति का एक अनिवार्य हिस्सा है और यह हमारे प्रारंभ से हमारे साथ है। कई फिल्मों के लिए संगीत तैयार करने के अपने अनुभव को साझा करते हुए पुरस्कार विजेता संगीतकार ने कहा कि निर्देशक और संगीतकार के बीच विश्वास और स्नेह एक महत्वपूर्ण पहलू है। संगीत की प्रक्रिया हर फिल्म में अलग-अलग होती है। उन्होंने स्पष्ट करते हुए कहा, ‘कभी-कभी संगीत फिल्म में कहानी को सशक्त बनाता है और कभी-कभी इसकी आवश्यकता ही नहीं होती है क्योंकि खामोशी हालात को बयां कर जाती है।’
लोक संगीत के महत्व का जिक्र करते हुए जीवी ने कहा कि लोक संगीत, स्वर और शब्दों का इस्तेमाल स्थान, संस्कृति और कहानी के कथानक को समझाने के लिए किया जाता है। उन्होंने कहा, ‘संगीतकार को किसी कहानी के लिए संगीत तैयार करने से पहले भौगोलिक और सांस्कृतिक परिवेश को ध्यान में रखना चाहिए।’
लोगों को संबोधित करते हुए संगीत निर्देशक स्नेहा खानवलकर ने कहा कि संगीत की रचना एक समग्र और जटिल प्रक्रिया है, जिसके लिए दिल में जुनून की आवश्यकता होती है। एक नवोदित संगीतकार के सवाल का जवाब देते हुए स्नेहा ने कहा कि अगर कोई अपने अनुभव, परिवेश और संस्कृति के आधार पर संगीत की रचना करेगा तो वह हमेशा मौलिक और अनूठा होगा।
सत्र का संचालन राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म समीक्षक बाराद्वाज रंगन ने किया।
इफ्फी 53 में मास्टरक्लास और संवाद सत्र का आयोजन संयुक्त रूप से सत्यजीत रे फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (एसआरएफटीआई), एनएफडीसी, भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) और ईएसजी द्वारा किया जा रहा है इस साल कुल 23 सत्र आयोजित किए जा रहे हैं जिसमें मास्टरक्लास और संवाद सत्र शामिल हैं, जिससे फिल्म निर्माण के हर पहलू में विद्यार्थियों और सिनेमा में रुचि रखने वालों को प्रोत्साहित किया जा सके।

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