जबकि चैम्बर न.108 से ही एक एडीएम, डीएम बने तो एक कलेक्टर फिर क्यों मनहूस
आज के दौर में भी बड़े अधिकारियों व विभागों में भी अंधविश्वास कायम है
इंदौर:-बाबा यादव
जी हाँ खबर जरा हटके है क्योंकि खबर चैम्बर नम्बर 108 की है जिसे यंहा के कई कर्मचारी सही नही मानते वजह 108 के आंकड़े का या कहे आपातकालीन एम्बुलेंस की वजह से खेर यंहा बता दे कि इंदौर के कलेक्टर ऑफिस में बहुत सारे चैंबर हैं, जहां अलग-अलग ओहदे के अधिकारी बैठते हैं। लेकिन, यहां के सबसे लग्जरी कहे जाने वाले कमरा नंबर 108 को मनहूस माना जाने लगा है। बताया जा रहा है इस चेम्बर में जो भी अधिकारी बैठा, वो ज्यादा दिन यहां नहीं रहा! शायद यही कारण रहा कि बुधवार को नई अपर कलेक्टर सपना लोवंशी ने भी यहां से अपना कार्यालय जी-11 में शिफ्ट कर लिया। उनके यहां बैठने के तत्काल बाद एक मामले में उन पर भी उंगली उठने लगी है। यही वजह है कि अब तक कोई भी अपर कलेक्टर एवं अन्य अधिकारी यहां बैठने से बच रहे हैं। आज इस चैंबर में ताला लगा दिया गया।
कलेक्टर ऑफिस जैसे विभाग जो जिले का सबसे बड़ा व उच्च माना जाता है जंहा बड़े बड़े अधिकारी होते है लेकिन फिर भी अंधविश्वास यंहा कायम है यंहा ऐसी चर्चा और भय का माहौल है कि जो भी अपर कलेक्टर रूम नंबर 108 में बैठा उसका ट्रांसफर हो जाता है, जबकि ऑफिस का यह सबसे लग्जरी कक्ष है। रूम नंबर 108 कलेक्टर ऑफिस के फर्स्ट फ्लोर पर कलेक्टर के रूम के बाईं तरफ स्थित है।
बताया जाता है कि इस चेम्बर का कायाकल्प अपर कलेक्टर हिमांशु चंद्रा के समय करवाया गया था। उन्होंने इसे लग्जरी रूप दिया। हिमांशु चंद्रा जिला पंचायत सीईओ रहे और उनके पास अपर कलेक्टर का अतिरिक्त चार्ज भी होने के कारण उनके लिए इस रूम की साज-सज्जा पर लाखों रुपए खर्च करवाए थे। फर्नीचर और साजसज्जा जिस तरह करवाई गई, वैसी शायद स्वयं कलेक्टर के रूम में भी नहीं होगी।
नही बैठना चाहता इस चेम्बर में कोई अधिकारी
चल रही चर्चा के अनुसार चेम्बर नंबर 108 में कोई भी अधिकारी या अपर कलेक्टर नहीं बैठना चाहता और न ही इस रूम में अपना कार्यालय संचालन करवाना चाहता है। इस कारण यह रूम वर्तमान में खाली पड़ा है। सबसे पहले इसमें मयंक अग्रवाल का कार्यालय रहा, लेकिन जैसे ही वे इस रूम में बैठे 15-20 दिन बाद ही उनका तबादला हो गया। इसके बाद इसमें अपर कलेक्टर हिमांशु चंद्रा बैठे, लेकिन उनका भी जल्द तबादला हो गया। बाद में इसमें एडीएम पवन जैन और राजेश राठौर ने बैठने से इनकार कर दिया। जबकि, इस रूम की भव्यता और लग्जरी रूप को देखें तो पता चलता है कि ये पूरे कलेक्टर ऑफिस का सबसे लग्जरी रूम है। इसमें लाखों रुपयों का तो सिर्फ फर्नीचर ही बना है।
जबकि असल में चेम्बर नम्बर 108 में हुआ ये
इस वाक़ये के बाद अब चर्चाओं का दौर है कि इस चेम्बर से हिमांशुचन्द्र का ट्रांसफर उनके काम नही करने के रवैये से हुआ था। जबकि एडीएम पवन सर ने बैठने से इसमे मना नही किया था हिमांशुचन्द्र को उस समय एडीएम का प्रभार मिला तो उनकी सुविधा के हिसाब से यंहा बैठाया गया था। रही बात अग्रवालजी की उनका ट्रांसफर कलेक्टर पद पर हुआ था और एडीएम से डीएम बने थे इस कमरे में शिफ्ट होने के बाद। वंही चर्चा ये भी है कि मयंक अग्रवाल इसी कक्ष से कलेक्टर के रूप में पदस्थ होकर गए थे। संकुल भवन के एक अन्य कक्ष जी-7 मे बैठने को लेकर कई बातें सामने आई थी।एक का निधन दूसरे की आत्महत्या और गंभीर बिमार होने की बात सामने आने के बाद आज वहां लंबे समय से अधिकारी जमें हुए हैं जिन्हें कोई हटा भी नहीं पाया।
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