प्रमोद कुमार द्विवेदी
कल शहरभर के कुछ चौराहा स्थित जेंट्री पर महापौर पुष्यमित्र जी के जन्मदिन की बधाई के पोस्टर लगे देखें.
देखकर मन ग्लानि से भर गया ओर साथ ही पता चला कि क़ानून दो प्रकार के होते हैं सरकार में बैठे लोगों के लिए अलग कानून होता है
आज शहर के नागरिक. राजनीतिक दल.सामाजिक संस्थाऐं.बुध्दिजीवी. यही सवाल उठाकर इनको हंसी पात्र बना रहे . क्योंकि पुष्यमित्र जी विधी विशेषज्ञ है.
अपर महा अधिवक्ता बने वह भी सबसे कम उम्र के साथ ही अगर वे राजनीति में न आते तो संभवतः भविष्य में न्यायमूर्ति भी बनते.
उन्हें यह भी जानकारी कि अवैध होंडिग वो भी जेंट्री पर….
इसको लेकर एक याचिका भी नवागत अभिभाषक आकाश ने लगाई थी नगरनिगम व सरकार को पक्षकार बनाकर.
खैर अभी आप महापौर हैं.नगरनिगम शहर का सौंदर्यीकरण कर रही है. अवैध बैनर पोस्टर हटा रही है. आपने तो धामिर्क आयोजन तक के पोस्टर हटाऐ थे…
मीडिया के सवाल पर विधान तक बताऐं थे. अब आप विधान के साथ साथ नैतिकता भी बताऐं…
क्या लगाने वाले अनपढ़ है. या जिन्होने लगाया वे आपके खास नहीं है. क्या आपसे पूंछकर लगाए .
अनुमति नगरनिगम से ली?
नहीं तो सरकारी संपति विरुपण अधिनियम तहत तथाकथित नियम पालक आयुक्त और आप तथा मैदानी अफसर लता अग्रवाल अब क्या कर रही है.
मुकदमा कायम हो। साथ ही मेरा आपसे
सवाल ये नैतिकता पाठ अब कहां है.संभ्रांत नागरिकता गुण भी आपमें है तो पालन हो….
पुष्यमित्र जी गुड् के आसपास मख्खी भिनभिनाती है. राजनीतिक ताकत जिसमें आई उसे हद,निगाहें, नैतिकता और ज्यादा
रखनी पडती है आचरण भी पारदर्शी बनाना पडता है. आंखों पर कानूनी पट्टी बांधना पडती है….
आपको यह करना चाहिए क्योंकि आप दो तरफा आचरणों के पालनकर्ता हो, महापौर रुप में तो विधी विशेषज्ञ..
आज आपने गलत को गलत माना तो सबको सबक मिलेगा नहीं माना नहीं आचरण में अवसर है खूद आगे आये पोस्टर बेनर उतरवाकर कानूनी कार्यवाही भी संबंधित पर करवाऐं….
नहीं तो आगे पलटवार झेलने की खातिर तैयार रहे…।।।।
प्रमोद कुमार व्दिवेदी एड्वोकेट
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