पीजी कॉलेज में दो दिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का हुआ शुभारंभ

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शिक्षाविदो ने नई शिक्षा नीति पर दिया अपना उद्बोधन

इस संगोष्ठी में 200 से अधिक शोध पत्रों का चार सत्रों में वाचन किया जाएगा

खरगोन:-संजय यादव
विश्वबैंक गुणवत्ता उन्नयन परियोजना, उच्च शिक्षा विभाग, मध्यप्रदेश एवं महाविद्यालय की आईक्यूएसी सेल के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को पीजी कॉलेज खरगोन में नवीन शिक्षा नीति एवं उद्यमशीलता- संभावनाएं एवं चुनौतियां विषय पर राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ।
इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. आरएस देवड़ा ने अतिथि परिचय एवं स्वागत भाषण दिया। डॉ. देवड़ा ने बताया कि इस संगोष्ठी में 200 से अधिक शोध पत्रों का चार सत्रों में वाचन किया जाएगा और इसके मंथन से प्राप्त निष्कर्ष उच्च शिक्षा विभाग मध्यप्रदेश शासन को प्रेषित किए जाएंगे।
संगोष्ठी संयोजक डॉ. जीएस चौहान ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए बताया कि यह शोध संगोष्ठी नवीन शिक्षा नीति को सार्थक बनाने में अवश्य कारगर सिद्ध होगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए एडवोकेट दीपक कानूनगो, जनभागीदारी समिति अध्यक्ष ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में बताया कि नवीन शिक्षा नीति से विद्यार्थियों को केवल नौकरी ही नहीं मिलेगी अपितु वे मालिक बनकर औरों के लिए भी रोजगार उपलब्ध करा पाएंगे। कानूनगो ने विश्वास दिलाया कि जनभागीदारी समिति द्वारा शोध कार्यों में पूर्ण सहयोग किया जाएगा।
विशेष अतिथि डॉ. संजय पंडित, प्राध्यापक वाणिज्य इंदौर ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विकास पर प्रकाश डालते हुए बताया कि विद्यार्थियों में वर्तमान परिदृश्य के अनुसार शिक्षा के साथ-साथ उद्यमशीलता का विकास किया जाना भी आवश्यक है। इस नीति के अंतर्गत शिक्षा को और अधिक सक्षम बनाने के लिए वर्ल्ड बैंक, रूसा आदि से इंफ्रास्ट्रक्चर, साइंस लेब आदि हेतु मद उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इस हेतु उच्च शिक्षा विभाग से जुड़े संस्थानों को एमओयू कराने हेतु और अधिक स्वायत्तता प्राप्त होना चाहिए।
मुख्य अतिथि डॉ. गणेश कावड़िया, अर्थशास्त्री एवं सलाहकार योजना आयोग मध्यप्रदेश ने अपने उद्बोधन में बताया कि नई शिक्षा नीति ने कला, विज्ञान और वाणिज्य संकायों के विभाजन को समाप्त करने का प्रयास किया है तथा विद्यार्थियों की सॉफ्ट स्किल, प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल, एनालिटिकल स्किल, रिसर्च स्किल इत्यादि को बढ़ाने पर ध्यान आकर्षित किया है। इसके माध्यम से विद्यार्थी अर्थव्यवस्था में हो रहे बदलावों की समझ विकसित कर पाएंगे। डॉ. कावड़िया ने आगे बताया कि विद्यार्थियों में अंतरराष्ट्रीय विषयों पर समझ होने के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर घट रही घटनाओं की बारीकियां भी पता होना चाहिए।
मुख्य वक्ता डॉ. कन्हैया अहूजा, विभागाध्यक्ष स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स दे.अ.वि.वि.इंदौर ने अपने उद्बोधन में बताया कि नवीन शिक्षा नीति के माध्यम से शिक्षा को क्लासरूम तक सीमित नही करते हुए इसे नॉलेजबेस इकॉनोमि के साथ विकसित किया जा रहा है। यह विद्यार्थियों के लिए लाइफ लांग लर्निंग मेथड के साथ कार्य करेगी तथा उनके व्यवहार, उनके बातचीत करने के तौर तरीके, संचार कौशल, कुशल नेतृत्व, प्रशासकीय गुण, विश्लेषण कौशल, तर्कशीलता जैसी महत्वपूर्ण विधाओं को बेहतर बनाएगी और उन्हें अपनी रूचि के अनुसार व्यवसाय तथा अन्य क्षेत्रों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के योग्य बनाएगी।
संगोष्ठी का संचालन वाणिज्य विभाग के सहायक प्राध्यापक जैनुल जिलानी ने किया एवं आभार आईक्यूएसी प्रभारी डॉ. वंदना बर्वे ने किया।
दोपहर पश्चात डॉ. ललिता बर्गे की अध्यक्षता में तकनीकी सत्र का आयोजन किया गया जिसमें विषय विशेषज्ञ डॉ. डीबी पाटील, प्राध्यापक, एनपुर कॉलेज, जलगांव महाराष्ट्र नई शिक्षा नीति के लागू होने और क्रियान्वयन पर समीक्षात्मक विचार व्यक्त किए। तकनीकी सत्र में 15 प्राध्यापकों और शोधार्थियों ने शोध पत्रों का वाचन किया।
अर्थशास्त्र विभाग एवं वाणिज्य संकाय के संयुक्त प्रयासों से आयोजित राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. एमके गोखले, डॉ. दिनेश दवे, विभागाध्यक्ष वाणिज्य डॉ. एसडी पाटीदार , डॉ. महेश गुप्ता, डॉ. शैल जोशी, डॉ. ललिता बर्गे, डॉ. जियालाल अकोले, डॉ. राजेंद्र सिंह चौहान, डॉ. सवित्री भागोरे, जनभागीदारी समिति के सदस्य, 6 से अधिक राज्यों से आए प्राध्यापक, शोधार्थी, पत्रकार, महाविद्यालय का सम्पूर्ण स्टाफ तथा विद्यार्थी उपस्थित रहें।

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