पेटलावद राकेश डूंगरवाल
भारत की प्राचीन संस्कृति पर कुठाराघात करते हुए सरकार का यह निर्णय धर्म विरोधी, संस्कृति विरोधी है! देश के संपूर्ण जैन समाज के साथ ही करवड़ जैन समाज ने भी विरोध स्वरूप अहिंसक, अनुशासनात्मक तरीके से सरकार के इस जैन धर्म विरोधी निर्णय का विरोध करते हुए रैली निकालकर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौपा है।
आपको बतादें कि झारखंड के सम्मेद शिखर में 24 में 20 तीर्थंकर भगवान की मोक्ष स्थली होकर शास्वत सिद्ध तीर्थ क्षेत्र है ।इस शास्वत सिद्ध तीर्थ क्षेत्र का एक एक कण जैन समाज के लिए मंदिर जैसा पवित्र है ।
झारखंड सरकार का जैन समाज के धर्म के साथ, आस्था के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त न करते हुए अब आंदोलन करने जैन समाज सडको पर आ गई है ।
क्योंकि निश्चित ही सम्मेद शिखर तीर्थ क्षेत्र को पर्यटन स्थल घोषित होने से तीर्थ क्षेत्र पर असामाजिक , अवांछित गतिविधियां एवं अन्य व्यसनों को बढ़ावा मिलेगा।अहिंसा का पालन करते हुए मांस का हर तरह से उपयोग बंद किया जाए। ये धर्म का स्थान है कोई पिकनिक स्पॉट नहीं। मेरा भारत सरकार से निवेदन है कि तीर्थराज शिखर जी को पर्यटन स्थल नहीं बनाना है, इसे पवित्र स्थल बने रहने दिया जाये… शिखरजी को मांस मदिरा मुक्त पवित्र जैन तीर्थ घोषित किया जाए
अहिंसा परमो धर्म
सरकार के इस निर्णय का विरोध करते हुए करवड़ नगर के समग्र जैन समाज ने
विशाल विरोध जुलूस निकाला जो नगर के प्रमुख मार्गो से होते हुए तहसील कार्यालय पहुँची।
जहां देश के महामहिम राष्ट्रपति महोदय के नाम चौकी प्रभारी गोवर्धन जी मकवाना को ज्ञापन सौंपकर इस जैन धर्म विरोधी निर्णय को वापस लेने की मांग की ।
रैली में समग्र जैन समाज की महिला मंडल, युवक एवं कन्या मण्डल के साथ श्री सकल जैन समाज अध्यक्ष-राजमल भन्डारी .वर्धमान स्थानक के अध्यक्ष शैतानमल मांडोत , तेरापंथी सभा के अध्यक्ष अमृतलाल मांडोत, मन्दिर मार्गी समाज के समाज के अध्यक्ष ललित भरघट
संचालन अरुण श्रीमाल ने किया ज्ञापन वाचन चिराग भंडारी ने किया आभार सकल जैन समाज ने माना।
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