एडीपीओ की परीक्षा सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी
एडीपीओ की परीक्षा को लेकर छात्रों ने सोशल मिडिया पर छेड़ा विरोध-बड़े आंदोलन की तैयारी
खरगोन:-संजय यादव बाबा की रिपोर्ट
एक तरफ जंहा सरकारे छात्रों के भविष्य को लेकर बड़े-बड़े दावे वादे पेश करती रही है वंही मप्र लोक सेवा आयोग टस से मस नही हो रहा है और सरकार के लाख आदेशो को धत्ता बता कर छवि खराब करने में लगा है।
जबकि मप्र लोक सेवा आयोग सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी की परीक्षा को लेकर जिद कर रहा है। वंही मप्र उच्च न्यायालय के फैसले के बाद भी परीक्षा लेने की तैयारी नही की जा रही है। परीक्षा को लेकर अभ्यर्थियों का कहना है कि
यदि नियुक्तियां हो भी गई तो सुप्रीम
कोर्ट की लार्जर बेंच के फैसले के बाद नियुक्तियां रदद् कर दी जाएगी भले ही कुछ सालो तक नॉकरी कर ली हो। लगभग 30 हजार अभ्यर्थी उक्त परीक्षा में सम्मिलित होंगे।
अपने भविष्य को लेकर चिंतित विद्यार्थियों द्वारा सोशल मीडिया के साथ ही जमीनी स्तर पर भी एक बड़े आंदोलन की तैयारी को मूर्त रूप देने में लग गए है। बताया जा रहा है कि जल्द ही इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री, ग्रहमन्ती व मप्र लोक सेवा आयोग को आंदोलन के साथ ज्ञापन दिया जाएगा।
जून 2021 को नोटिफिकेशन जारी हुआ जिसमे 92 पोस्ट थी। जिला लोक अभियोजन कि परीक्षा में शुरुआती दौर के नोटिफिकेशन में मप्र लोक सेवा आयोग ने 29 एक्ट और जर्नल नॉलेज के 150 प्रशन आना तय किये थे। दिसम्बर 2021 में परीक्षा होना थी फिर एक एक्ट कम कर दिया बचे 28 एक्ट। जबकि नवम्बर 2021 में एमपीपीएससी ने पोस्ट बड़ा कर फिर 184 कर दी। परीक्षा को पहले ऑनलाइन करवाना था लेकिन बाद में ऑफलाइन भी किया गया है। इसके बाद एकबार फिर परीक्षा आगे बढ़ी और 16 अक्टूबर 2020 को परीक्षा ली जाना तय किया गया। लेकिन फिर परीक्षा की तिथि आगे बढ़ाई गई और 18 दिसम्बर 2022 कर दी गई। इसके बाद 30 अक्टूबर 2022 को नया सिलेबस जारी कर दिया गया जिसमे 6 एक्ट हटा कर 10 नए एक्ट जोड़ दिए गए। नए सिलेबस को लेकर जबलपुर उच्च न्यायालय में दो याचिकाएं दायर की गई है।
जिसमे एक याचिका में उच्च न्यायालय जज श्री मनिंदर सिंह भट्टी ने फ़ैसला दिया है कि इस तरह की मंजुश्री वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट की लार्जर बेच में पेंडिंग है। मप्र लोक सेवा आयोग यदि नए सिलेबस को लेकर परीक्षा आयोजित करता है तो जैसा फैसला सिलेबस में बदलाव को लेकर लगी याचिका में आएगा वैसा ही होगा। इस बात का अर्थ यह है कि यदि फैसला पिटिशनर्स के पक्ष में आया तो सभी नियुकिया रदद् हो जाएगी और सभी लोगो व विद्यार्थियों को डर यही सता रहा है की यदि पिटिशनर्स के पक्ष मे फैसला आया तो सभी का जीवन बर्बाद हो जाएगा। विधि के विद्यार्थी परीक्षा को आगे बढ़ाने की मांग कर रहे है, की पुराने सिलेबस से परीक्षा ली जाएगी तो भविष्य मे कोई दिक्कत नही आएगी। लेकिन मप्र लोक सेवा आयोग मप्र सरकार की छवि खराब करने में लगा हुआ है और जैसा 2019 कि एमपीपीएससी की मुख्य परीक्षा का रिजल्ट आने के बाद उच्च न्यायालय ने पुनः प्रारम्भिक परीक्षा का रिजल्ट घोसित करने व मुख्य परीक्षा पुनः लेने के आदेश दिए वैसे ही सहायक लोक अभियोजन अधिकारी की परीक्षा में भी होगा और छात्रों का जीवन बर्बाद हो जाएगा। इससे तो अच्छा यह होगा कि परीक्षा 3 माह बाद ली जाए और पुराने सिलेबस से ही ले ली जाए। लेकिन मप्र लोक सेवा आयोग अपनी जिद पर अड़ा है। आयु सीमा को लेकर भी ग्वालियर उच्च न्यायालय सिलेबस को लेकर इंदौर में 1 ओर ग्वालियर में 2 याचिकाएं जबलपुर में लगी है। एक याचिका में 12 तारीख लगी है। 5 दिसम्बर की तारीख इंदौर उच्च न्यायालय तो 6 दिसंबर की तारीख ग्वालियर उच्च न्यायालय में भी लगी हुई है। प्रदेश के सभी जिलों में विधि के विद्यार्थियों ने कलेक्टर के माध्यम से विधयकों,मुख्यमंत्री, ग्रहमन्त्री व उच्च शिक्षा मंत्री को ज्ञापन देने की तैयारियां कर ली है। इंदौर में भी सोमवार को लोक सेवा सयोग को ज्ञापन दिया जाएगा। ट्विटर, फेसबुक व वाट्सप पर भी विद्यार्थियों ने मप्र लोक सेवा आयोग द्वारा परीक्षा लेने के फैसले का पुरजोर विरोध किया जा रहा है। मप्र के मुख्यमंत्री व ग्रहमन्त्री को भी ट्वीट के।माध्यम से जानकारी दी गई है।
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