स्वास्थ्य केंद्र के सामने मदिरा केंद्र, खुले मैदान में छलकते है जाम
यंहा जुंआ, गांजा,शराब और शबाब हर चीज बिकती व मिलती है बस खरीदार चाहिए साहब
खरगोन से संजय बाबा यादव की विशेष रिपोर्ट
कहने को तो निमाड़ का खरगोन जिला बड़ा ही शांत व सौम्य है। जंहा नशा व नशेड़ियों से कई आमजन कोसो दूर रहते है। लेकिन मजबूर है इंदिरा नगर के रहवासी लेकिन प्रशासन की सुस्ती में चन्द बदमाश यंहा मस्ती में है। शहर के पॉलिटेक्निक कॉलेज रोड़ स्थित इंदिरा नगर कॉलोनी के पास ही देशी,विदेशी मदिरा की कॉलोनी के सामने व मेन रोड़ पर दुकान होने से रहवासियों को खासी दिक्कत, परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जैसे ही दिन ढलता है शाम होती है तो यंहा के शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र UPHC के मैदान में अहाता होने के बावजूद शराबियों का मेला लग जाता है और होती है आपस मे जमकर गाली गलौच जिसके चलते रहवासी खासी मुसीबत का सामना करने को मजबूर है।
यंहा गांजा,शराब तो जुंआ सब खुलेआम प्रशासन की नाक के नीचे चल रहा है
जी हाँ रोजाना शाम 5 बजते ही स्वास्थ्य केंद्र के पास ही एक बाउंड्री वाल बनी है जंहा सायद कोई कॉलोनी डेवलप हो रही है इस वीरान जगह पर शाम होते ही कई नाबालिग तो वयस्क बच्चे खुलेआम जुंआ खेलते देखे जा सकते है। वंही स्वास्थ्य केंद्र के सामने मैदान में शराबियों व गंजेडीयो का मेला लगने लग जाता है। यंहा रहवासी क्षेत्र में खुले आम जाम छलकते देखे जाना और नशेड़ियों द्वारा नशा करने के बाद मा से लेकर बहन तक कि गाली गलौज सुन्ना रहवासियों के लिए अब आम बात हो गई है। क्योंकि सम्बंधित अधिकारियों को बोलने के बाद भी यंहा आज तक कोई कार्यवाही नही हुई है ऐसा रहवासियों का कहना है वे यह भी कहते है कि साहब अगर हम इनकी शिकायत करते है तो ये हमे घर आ कर मारने की धमकी तक दे जाते है इसलिए अब हमने बोलना ही बन्द कर दिया।
चरसी भी कम नही प्रशासन की नाक के नीचे कर रहे है नशे का व्यापार
बता दे कि इसी मैदान पर शाम होते ही मदिरा के जाम तो छलकते ही है मगर चरस व गांजे का भी खुला कारोबार चलता है। यंहा खुलेआम चरस,गांजे की पुड़िया 10 रुपए से लेकर 500 रुपये तक बिकती है वो भी बदमाश सीना ठोक कर बेच रहे है। न इन्हें प्रशासन न पुलिस का कोई खोफ है। पूछने पर कहते है सब बिकते है साहब दाम सही होना चाहिए।
तो क्या बिक गया खरगोन प्रशासन या पुलिस
इन गंजेडीयो को न तो पुलिस न ही प्रशासन का डर है क्योंकि इनका ही कहना है कि हप्ता दे के धन्दा कर रहे है। मजाल कोई बोल दे या बेचने से मना कर दे। आखिर किसकी सह पर यह नशे का खुला कारोबार बदस्तूर खुलेआम जारी है ये तो प्रशासन या पुलिस भलीभांति जानती ही होगी। लेकिन इस खुलासे के बाद भ कार्यवाही होगी या नही ये तो प्रशासन जाने।
चरस गांजे के सौदागर से हुई चर्चा के कुछ अंश….?
रिपोर्टर:-खान साहब पुड़िया चाहिए…?
खान:- कौन सी पुड़िया में नही समझता किसकी बात कर रहे हो…
रिपोर्टर:-अरे बोस ओ आपके मित्र…..ने आपका बोला है कि चले जाओ बोल देना
खान:-अच्छा उसने ठिख है कौन सी चाहिए फ़िल्म की हिरोइन या देशी और कितने तक कि
रिपोर्टर:-में समझा नही खान साहब..लड़की नही नशे की पुड़िया चाहिए
खान:-अरे भाई वही बता रहा हूँ फ़िल्म की हिरोइन मतलब चरस….देशी मतलब गांजा और कितने वाली पुड़िया दूँ..
रिपोर्टर:-अरे खेर समझ नही पाया आप तो 50 वाली दे दो देशी
खान:-10 मिनट रुकना पड़ेगा और कोई ग्राहक हो तो भेज देना
रिपोर्टर:-जी भेज दूंगा…अभी मुझे थोड़ा जल्दी दे दो
खान:-10 मिनट बाद एक लड़का बेग लेकर आया…ये लो किसी को बताना मत भाई जब भी लगे यंहा आ जाना
रिपोर्टर:-बिल्कुल वैसे कोई नम्बर या स्थाई जगह आपकी
खान:-मरवावोगे क्या नम्बर व जगह को जान कर शाम को यंही घूमते मिल जाएंगे चलता हूँ…..
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