शिवराज जी के भरोसेमंद अधिकारियों का कारनामा जिंदा किसान को अधिकारियों ने अपने रिकॉर्ड में बता दिया मृत..

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सीएम साहब आम आदमी से लेकर किसान तक मर रहा है आपकी लापरवाही व आपके अधिकारियों के भ्रष्टाचार से

संजय यादव
वाह रे मेरे मामाजी अपने तो देश मे मप्र को मानस पटल पे ला के छोड़ दिया तभी तो जन मानस आपके राज में यह कहने लगा है कि साहब मेरा मध्यप्रदेश अजब और गजब है।
यहां आये दिन सीएम साहब व उच्च अधिकारियों की लापरवाही के कारण यंहा के ही नही तमाम प्रदेश के हर विभाग की अजीबोगरीब लापरवाहियां देखने को मिलती रहती हैं। हम बता दे कि खरगोन जिले के बिस्टान में हितग्राहियों के बाद अब हाल ही में सतना जिले में राजस्व विभाग के अधिकारियों की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। विभाग ने एक जीवित किसान को रिकॉर्ड में मृत घोषित कर दिया है, पीड़ित किसान बीते चार साल से खुद के जिंदा होने की गवाही दे-देकर थक चुका है।

पीड़ित कहता है रिश्वत न देने पर पटवारी ने घोषित किया मृत

तो सुनो सीएम साहब जनमानस के मामाजी मामला लगभग आपके ही क्षेत्र सतना जिले के सहिजना गांव का है। यहां गरीब परिवार से ताल्लुकात रखने वाला रामसुजान चौधरी सीमांत किसान हैं। सरकार ने 2018 में इन्हें किसान सम्मान निधि दी थी।
किसान को योजना के तहत चार किश्तें भी मिली, लेकिन एक साल बाद उन्हें योजना का लाभ मिलना बंद हो गया। ये बताते है कि पटवारी गणेश कोल ने योजना का लाभ अनवरत मिलते रहने के एवज में इस गरीब किसान से पांच हजार रुपये की मांग की थी। किसान ने किसी तरह 2000 रुपये इस भृष्ट पटवारी को दिए, आवश्यकताए असीमित होने की वजह से पटवारी को ये बात ठीक नहीं लगी तो शिवराज मामा आपके इस भृष्ट पटवारी ने बेचारे गरीब किसान को 2019 में राजस्व रिकॉर्ड में मृत घोषित कर दिया। भृष्ट पटवारी की करतूत के फलस्वरूप पीड़ित को किसान सम्मान निधि की राशि मिलना भी बंद हो गई।

सीएम मामाजी के कई भृष्ट अधिकारियों को कई बार आवेदन देने के बाद भी नहीं हुई सुनवाई

पीड़ित किसान ने खुद को रिकॉर्ड में जीवित दर्ज कराने के लिए उच्च अधिकारियों को कई आवेदन भी दिए लेकिन विभाग के भृष्ट अधिकारियों ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। वहीं विभाग की इस बड़ी गलती का खामियाजा किसान को उठाना पड़ रहा है। सरकारी राजस्व रिकॉर्ड में डेड घोषित होने के कारण किसान को प्रदेश और केंद्र सरकार की ओर से मिलने वाली किसान सम्मान निधि का लाभ नहीं मिल पा रहा है। किसान रामसुजान ने सीएम हेल्पलाइन और जिला कलेक्टर से भी इसकी शिकायक की लेकिन अब तक रिकॉर्ड में सुधार नहीं हुआ। किसान बीते चार साल से खुद को जिंदा होने की गवाही दे-देकर हार गया लेकिन अधिकारियों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। वहीं, मामले पर जिले के उच्च आधिकारी कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं, हालांकि जिले के प्रभारी मंत्री ने मामला सामने आने के बाद राजस्व अधिकारियों द्वारा रिकॉर्ड में जल्द सुधार करने की बात कही है।

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