✒ इस गांव का हर युवा बनना चाहता है सैनिक, नही मिलती है तो बस मदद व सुविधाएं.

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खरगोन जिले में एक ऐसा गांव भी है, जहां का हर युवा भारत माता की सेवा करने के लिए हरदम तैयार रहता है।

संजय बाबा यादव

इसी जुनून का परिणाम है कि यहां के कई छात्र सेना में रहकर देश की रक्षा में तैनात रहने की बात कहते हैं।इनके कुंछ रिटायर हो चुके गुरुजन बताते हैं की नए युवाओं को सेना में जाने की प्रेरणा दे रहे हैं। हम बात कर रहे हैं। खरगोन जिले के भगवानपुरा तहसील के एक गांव आमलियापानी थुलियापानी की यंहा के युवक पिंटू भूरिया का आर्मी में चयन होने पर परिजनों व ग्रामीणों ने उसे पुष्पहार पहनाकर गर्मजोशी के साथ उसे ट्रेनिंग के लिए गोवा रवाना किया। भगवानपुरा विकासखण्ड के एक छोटे से ग्राम से भारतीय सेना के लिए एक युवक का चयन होना बड़ी बात है।
पिंटू का ट्रेनिंग सेंटर गोवा रहेगा

पिंटू के पिता मालसिंह व माता रीतू बाईं ने बताया कि यह हमारे लिए बड़े गर्व की बात है कि हमारा बेटा राष्ट्रसेवा, देश की सेवा के लिए अपना योगदान देने जा रहा है। इस खुशी के मौके पर पिंटू के बड़े पापा शोभाराम सहित रिश्तेदारो व ग्रामीणों ने खुशी और खुशी के आंसुओं के साथ पिंटू को गोवा ट्रेनिंग के लिए विदा किया।
यह असल कहानी भगवानपुरा तहसील के ग्राम आमलियापानी थुलियापानी की है। यंहा न केवल यह गांव बल्कि आसपास के कई गांव के लडक़े और लड़कियां यहां आकर सेना और पुलिस में भर्ती होने के लिए अभ्यास करते हैं।
आतंकी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ, बीएसएफ के कई जवानो के प्रति इन छात्रों ने नम आंखों से श्रद्धांजलि तो दी ही है लेकिन उन जवानों का बदला लेना और देश की रक्षा के लिए सेना में जाना जैसे एक एक लक्ष्य सा बन गया है। जिले के रहने वाले मात्र भूमि की रक्षा में शहीद हुए राजेन्द्र यादव को याद करते हुए ये जवान या कहे छात्र कहते है कि वे भी एक छोटे से गांव के थे और देश के काम आए तो हम क्यों प्रयास से पीछे हटे आज एक का चयन हुआ है कल इन्ही छोटे गांव के 100 छात्रों का चयन होगा पिंटू पर गर्व करते हुए युवा व ग्रामीणों ने कहा।
यहां खरगोन सहित आसपास के कई गांव ऐसे हैं, जहां बड़ी संख्या में सैनिक और उनके परिवार निवासरत हैं। कई परिवारों की एक से दो पीढिय़ां सेना में रही हैं। यहां के युवा पूरी ताकत सेना, सीआरपीएफ, बीएसएफ, राज्य पुलिस में शामिल होने के लिए झोंकते हैं। यहां कुछ ऐसे परिवार भी हैं, जिनका एक ही पुत्र है, वह भी सेना में है। उनके परिवार को उन पर फक्र होता है। गांव के लोग भी सैनिक परिवारों को पूरा सम्मान देते हैं। जैसे पिंटू को दिया गया आप तस्वीरों में देख सकते है।

सुविधाएं नहीं, स्टेडियम भी भूला प्रशासन गांव से जाना पड़ता है जिले में इस गांव में युवाओं के अभ्यास के लिए कोई विशेष इंतजाम नहीं है। यहां पर आसपास के कई गांवों के युवा सेना में भर्ती के लिए प्रयास कर रहे हैं।

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