विरोध स्वरूप नगर में जैन समाज के लोगों ने निकाली रैली, राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन
राजगढ़( दीपक जैन )
झारखंड स्थित प्रसिद्ध जैन तीर्थ एवं आस्था के केंद्र श्री सम्मेद शिखरजी को वहां की सरकार द्वारा पर्यटन स्थल घोषित किया जाना पूरी तरह से गलत है। देषभर का जैन समाज इसका विरोध कर रहा है। हम अहिंसा के पुजारी जरूर है लेकिन इसका यह मतलब नही है कि हम हमारे हक के लिए लड़ नहीं सकते।
यह बात प्रसिद्ध जैन संत मुनिश्री पीयूषचंद्र विजयजी ने सोमवार को बस स्टैंड पर जैन समाज को संबोधित करते हुए कहीं। दरअसल, श्रीसम्मेद षिखरजी तीर्थ को झारखंड सरकार द्वारा पर्यटन क्षेत्र घोषित करने के विरोध स्वरूप समाजजनों ने मुनिश्री के नेतृत्व में रैली निकाली। बस स्टैंड स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा के सम्मुख राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के नाम नायब तहसीलदार रवि परिहार को ज्ञापन सौंपकर सरकार से निर्णय बदलने की मांग की गई। इस दौरान नवरत्न परिवार के जिलाध्यक्ष नितीन चौहान सहित बड़ी संख्या में जैन समाज के युवा, बच्चे आदि शामिल हुए। आभार आजाद भंडारी ने माना।
पूरा जैन समाज उतरा विरोध में
तय समयानुसार दोपहर दो बजे महावीर जी मंदिर से मुनिश्री के नेतृत्व में विरोध रैली प्रारंभ हुई। रैली में बड़ी संख्या में चतुर्विध जैन श्रीसंघ के सैकड़ों लोग शामिल हुए थे। पुरुष सफेद वस्त्र एवं महिलाएं केसरिया पोशाख में शामिल हुए थे। रास्ते भर समाज के लोग तीर्थाे के सम्मान में, जैन समाज मैदान में, जय-जय आदिनाथ के जयकारे लगाते हुए चले। रैली लाल दरवाजा, चबूतरा चौक, पुराना बस स्टैंड होते हुए न्यू बस स्टैंड स्थित गांधी प्रतिमा पर पहुंची।
दिया जाए पवित्र तीर्थ का दर्जा
आयोजित सभा को संबोधित करते हुए मोहनखेड़ा तीर्थ मैनेजिंग ट्रस्टी सुजानमल सेठ ने कहा कि जिस तीर्थ पर 24 तीर्थंकर में से 20 तीर्थंकर का निर्वाण हुआ हैं। पर्यटन बनने तीर्थ की पवित्रता कम हो जाएगी। तीर्थ को पवित्र तीर्थ क्षेत्र घोषित किया जाना चाहिए। दिलीप पुराणी ने कहा कि सरकार के इस निर्णय से समाज की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं। पत्रकार वीरेंद्र जैन ने कहा कि तीर्थ को पर्यटन क्षेत्र बनने से कई प्रकार की ऐसी गतिविधियां होगी। जिससे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचेगी। हम सरकार से मांग करते है कि जिस प्रकार उज्जैन, ओंकारेश्वर सहित अन्य तीर्थ को पवित्र तीर्थ का दर्जा दिया गया हैं। इसी प्रकार पर्यटन क्षेत्र का निर्णय बदलकर सम्मेद शिखरजी को भी पवित्र तीर्थ का दर्जा दिया जाए।
हाथों में भाला भी उठा सकते हैं
मुनिश्री पीयूषचंद्र विजयजी ने कहा कि यह सत्य है कि हम अंहिसा के पुजारी हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम हमारे हक के लिए नहीं लड़ सके। यदि तीर्थ पर किसी प्रकार आछ आती हैं तो जिन हाथों में शास्त्र हैं उन हाथों में भाला भी उठा सकते हैं। सम्मेद शिखर को पर्यटन क्षेत्र बनाने का निर्णय झारखंड सरकार एवं केंद्र सरकार द्वारा गलत लिया गया हैं। यदि शासन द्वारा इस निर्णय में संशोधन नहीं किया जाता हैं तो जनवरी माह में जैन समाज के संतों द्वारा दिल्ली कूच की जाएंगी।
मोहनखेड़ा तीर्थ ने सौंपा ज्ञापन
इधर, मोहनखेड़ा तीर्थ ट्रस्ट द्वारा भी सम्मेद षिखर तीर्थ को पर्यटन क्षेत्र बनाने का विरोध करते हुए ज्ञापन दिया गया हैं। साथ ही मांग गई है कि शासन द्वारा इस निर्णय को बदला जाएंगा। संचालन पत्रकार दीपक जैन ने किया।
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