✒ देश में धार्मिक स्वतंत्रता बना अहम मुद्दा…

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✒ धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम २०२१ के अंतर्गत धार्मिक स्वतंत्रता नियम २०२२ अधिसूचित किए गए हैं।

अंकितसिंह गिल

हिंदुस्तान में धर्मांतरण , अगर गंभीरता से देखा जाए तो इसके पीछे का उद्देश्य राजनैतिक स्वार्थ और प्रलोभन है ।
विषय बड़ा गंभीर है कि स्वतंत्र भारत में , जहां सभी संप्रदायों को अपना धर्म , मजहब , पंथ मानने की स्वतंत्रता है तो राजनैतिक उल्लू सीधा करने के लिए धर्मांतरण जैसा निंदनीय और घृणित कृत्य आखिर क्यों ???
भय, प्रलोभन, धोखे, कपट आदि से किए गए या कराए जा रहे धर्मान्तरण को धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम २०२१ द्वारा प्रतिबंधित किया गया है और ऐसे कृत्य करने वाले तथा उक्त कृत्य में सहयोगियों और सहभागियों को १० वर्ष तक की जेल और रु एक लाख तक के जुर्माने की सजा दिए जाने के प्रावधान हैं। उक्त अधिनियम की धारा १० में पूर्ण स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन के लिए आवेदन किए जाने के प्रावधान हैं, जिसके लिए नियम अधिसूचित किए गए हैं। अधिसूचित नियम में स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करने वाले व्यक्ति को और धर्म परिवर्तन कराने वाले धर्माचार्य/व्यक्ति को ज़िला मैजिस्ट्रेट को कम से कम ६० दिन पहले आवेदन देना बंधनकारी होगा। नियमों की अधिसूचना मप्र राजपत्र में १५.१२.२२ को प्रकाशित हुई है।
इस राजपत्र के बाद यह बारीकी से चुनाव आयोग सहित सभी राजनैतिक दलों को अपने अपने स्तर पर यह निगरानी रखनी होगी कि कोई भी प्रलोभन देकर अशिक्षितों को धर्मांतरण तो नहीं करा रहा ….

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