सी . एल . जैन
बायपास पर फोनिक्स मॉल की हाल ही में शुरूआत हुई है। यह मॉल शहर के मॉल कल्चर में एक अलग ही स्थान रखता है। यही कारण है कि यहां प्रतिदिन हजारों लोग मॉल में पहुंच रहे हैं। मॉल में जाना कोई गलत बात नहीं लेकिन अधिकांश लोग बायपास के इस पार (रिंग रोड तरफ) वाहन खड़े कर सड़क पार करते हुए मॉल में जा रहे हैं जो यातायात के लिए तो तकलीफदेह है ही साथ ही लोगो की जान के लिए भी हानिकारक है। ऐसे में मॉल संचालक ने बायपास के दोनों तरफ लोहे की जालियां लगाने का फैसला लिया है जिसका काम शुरू हो गया है।
निपानिया में स्थित फोनिक्स मॉल को लेकर इन दिनों जनता में काफी आकर्षण हैं। शाम को तो कई बार स्थिति यह हो जाती है कि बायपास पार करने वालों के कारण यातायात धीमा हो जाता है और कई बार जाम की स्थिति तक बन जाती है। यही नहीं बायपास के रिंग रोड वाली साइड पर रिक्त जमीन पर दो पहिया व चार पहिया वाहनों की इतनी लंबी कतारे लग जाती है जो सर्विस रोड के यातायात को भी प्रभावित करती है। पुलिस वालों को भी यहां यातायात संभालने में मशक्कत करना पड़ती है। बायपास पर वाहन तेज गति से चलते हैं जिससे किसी भी दिन बड़ा हादसा हो सकता है। हादसा होने पर मॉल का नाम भी घटना के साथ जोड़ा जाएगा यानी मीडिया में खबर लिखे जाने पर मॉल के नाम का उपयोग तो किया ही जाएगा। इन सभी बातों को लेकर संभवत: मॉल संचालक बायपास के दोनों तरफ लोहे की लगभग पांच-पांच फीट ऊंची जालिया लगवा रहा है जिसका काम शुरू हो गया है। जाली लगने से लोग यहां से कूद नहीं सकेंगे जिससे मॉल तक जाने के लिए उन्हें लंबा चलना भी पड़ेगा। ये जालियां दोनों तरफ करीब एक-एक किलोमीटर रोड पर लगाई जाएगी जिससे लोग मॉल की ही पार्किंग में वाहन लगाना पसंद करे। जालिया लगवाने से मॉल संचालक को पार्किंग का किराया भी ज्यादा से ज्यादा मिलेगा जो फिलहाल नहीं मिल पा रहा है। जालियां लगवाने की सरकारी अनुमति को लेकर फिलहाल जानकारी नहीं मिल पाई है।
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