एक समोसे की दुकान हाल ही में 1सितंबर 2022 से शुरु की। जिसका नाम PSC समोसे वाला रखा है.

शिक्षा

अंकित सिंह गिल इंदौर में रीवा से पीएससी की परीक्षा के लिए आए छात्र अजीत सिंह को यहां 4 साल हो गए लेकिन पीएससी का फाइनल रिजल्ट नहीं आने परेशान हो रहे अजीत अब अपने घरवालों से अपने खाने खर्चे का पैसा नहीं मंगाते उल्टा वे उन्हें कुछ रुपए भेजने का भी विचार कर रहे हैं।

दरसल अपने शहर रीवा से 2016 में अजीत सिंह इंदौर डिप्टी कलेक्टर बनने का सपना लेकर इंदौर आए थे।पीएससी की तैयारी कर रहे थे,लेकिन तीन बार परीक्षा देने के बाद अभी तक फाइनल रिजल्ट नही आने से वे न तो वापस घर जा सके और न परिवार से अपने लिए पैसे मांग सकते थे।

अपने जीवन यापन करने में लगने वाले खर्च की व्यवस्था करने के लिए इस युवा ने अपने एक स्टार्ट अप के रूप में एक समोसे की दुकान हाल ही में 1सितंबर 2022 से शुरु की। जिसका नाम PSC समोसे वाला रखा है.

अजीत सिंह ने बताया कि पीएससी का मतलब यहां पर पब्लिक सर्विस कमीशन नहीं बल्कि पब्लिक समोसा सेंटर है।

उन्होंने कहा कि हालात ऐसे हो गए थे कि हमने सोचा कोई स्टार्टअप ही शुरू करते हैं ।पिताजी ने गांव में एक बार समोसे की दुकान खोली थी जिसमें मैंने भी हाथ बंटाया था ।लेकिन दादी की मृत्यु हो जाने के कारण उस दुकान को बंद करना पड़ा ।बस वह कसक हमने इंदौर में पूरी कर ली। कोई नया स्टेटस शुरू करने से बेहतर था कि जिस काम को हमें आता था हम वही शुरू करें और मेहनत रंग लाई। आज मेरे अलावा यहां मेरे चार और साथी भी जो पीएससी की तैयारी में जुटे हैं मेरे साथ मेरे स्टार्टअप में पार्ट टाइम काम कर अपनी पढ़ाई के लिए आवश्यक जरूरत की पूर्ति बिना परिवार से पैसा लिए कर रहे हैं.

इंदौर के गणेश नगर खंडवा रोड पर अजीत सिंह की पीएससी समोसे वाले की चर्चा आज पूरे शहर में हो रही है।

अजीत सिंह ने सरकार से मांग की है कि 2018 का रिजल्ट जारी करें ताकि जो छात्र अपना भविष्य के लिए सपना देख रहे हैं उनका सपना पूरा हो सके।

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