पेरिस : फ्रांस की राजधानी पेरिस में स्थित एफिल टावर को लेकर एक बड़ी खबर सामने आ रही है.
पेरिस में स्थित एफिल टॉवर को बम से उड़ाने की धमकी दी गई है. इसके बाद पूरे एफिल टॉवर को पुलिस ने खाली करा लिया है।
विदित हो कि दुनिया के सात अजूबो में शुमार, एफिल टॉवर का दीदार करने पिछले साल करीब 62 लाख टूरिस्ट पहुंचे थे।
पेरिस की पुलिस ने कहा कि दुनिया में सबसे ज्यादा देखे जाने वाले पर्यटक स्थलों में से एक पेरिस में एफिल टॉवर पर बम की धमकी दी गई है। पुलिस ने कहा कि धमकी मिलने के बाद एहतियात के तौर पर एफिल टॉवर को खाली करा लिया गया है। इसके साथ ही इसे शनिवार को जनता के लिए बंद कर दिया गया।
बताया जा रहा है कि मध्य पेरिस में स्थित एफिल टॉवर की तीन मंजिलों को खाली कर दिया गया है। इसके साथ ही बम निरोधक दस्ते को मौके पर भेजा गया है। पुलिस की कई टीमें भी मौके पर तैनात हैं। एफिल टॉवर के आसपास भी बम की तलाश की जा रही है। ऐतिहासिक स्मारक के आसपास पुलिस ने बेरिकेडिंग कर दी है। साथ ही पर्यटकों से कहा जा रहा है कि वह टॉवर से दूर रहें।
एक प्रवक्ता ने कहा कि शनिवार को दोपहर 1:30 बजे बम की धमकी मिली थी, इसके तुरंत बाद टूरिस्टों को तीनों मंजिलों और स्मारक के नीचे के चौक से हटा दिया गया
आइए जानें कब-कब इस एतिहासिक रचना एफील टावर को उड़ाने की धमकी दी गई और क्या है इसका इतिहास-
आज से पहले पेरिस के एफिल टावर को सितंबर 2020 में भी उड़ाने की खबर सामने आ चुकी है। वहीं, मई 2018 में ही टावर को बम से उड़ाने की धमकी मिल चुकी है। उस समय में भी पूरे पेरिस में हड़कंप मच गया था। पुलिस की टीमों ने आसपास के सभी इलाकों में तलाशी अभियान शुरू कर दिया था। आज फिर 12 अगस्त 2023 को शाम करीब 6.30 बजे बम से उड़ाने की धमकी मिली है और बम निरोधक दस्ता ने जांच शुरू कर दी है।
एफिल टॉवर का निर्माण इतिहास
बता दें कि एफिल टॉवर पर निर्माण कार्य जनवरी 1887 में शुरू हुआ और 31 मार्च 1889 को समाप्त हुआ था। 1889 के वर्ल्ड फेयर के दौरान दो मिलियन पर्यटकों ने एफिल टॉवर को निहारा था। एफिल टॉवर की रात के समय तस्वीरें खींचना गैरकानूनी माना जाता है। साथ ही टॉवर की लाइट्स कॉपीराइट के तहत आती हैं। लिहाजा रात के समय अगर कोई एफिल टॉवर की तस्वीरें क्लिक करना चाहता है तो उसे सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है।
यह टावर विश्व में उल्लेखनीय निर्माणों में से एक और फ़्रांस की संस्कृति का प्रतीक है। एफिल टावर की रचना गुस्ताव एफिल के द्वारा की गई है और उन्हीं के नाम पर से एफिल टावर का नामकरन हुआ है। इसे देखने के लिए लाखों लोग दुनिया भर से आते हैं। जिस समय एफिल टावर तैयार किया गया था, उस समय यह दुनिया की सबसे ऊँची इमारत थी। आज के समय में एफिल टावर की ऊँचाई 324 मीटर है। जो की पारंपरिक 81 मंज़िला इमारत की ऊँचाई के बराबर है।
एक रोमांचक एतिहासिक तथ्य अनुसार 14 जून 1940 में जर्मनी ने फ्रांस की राजधानी पेरिस पर कब्जा करने के बाद हिटलर खुद पेरिस गया था। हिटलर ने पेरिस के एफिल टावर समेत कई मशहूर जगहों पर घुमा। हिटलर टावर को गिराने के लिए उपर चढ़ा, इतनी ही देर में फ्रांसीसियों ने जानबूझकर टावर की लिफ्ट केबल बंद की और हिटलर ऊपर चढ़ने में नाकाम रहा। इस दौरान फ्रांस के मित्र देशों के सेना पहुंच गई और नाजी सेना को अपने मकसद में कामयाब नहीं होने दिया।
इसी तरह के एक एतिहासिक तथ्य अनुसार सन् 1925 में लुस्टिग नाम के एक व्यक्ति ने एफील टावर को दो बार धोखे से बेचने की कोशिश की। दरअसल, यूरोप में पहला विश्वयुद्ध खत्म होने के बाद रेनोवेशन का काम चल रहा था। एफिल टावर की भी मरम्मत की जा रही थी। लुस्टिग पेरिस के एक लग्जरी होटल में उद्योगपतियों के साथ मीटिंग करता है और खुद को फ्रांसीसी सरकार का अधिकारी बताकर बातचीत करता है। मीटिंग ने उसने बताया कि कुछ खराबियों के कारण टावर का गिरना जरूरी है। लुसिटग ने कहा सबसे अधिक बोली लगाने वाले को टावर दिया जाएगा। उद्योगपतियों ने बोली लगाई और सबसे अधिक बोली लगाने वाले को टावर बेच दिया। लुसिटग ने ऐसी चालाकी एक बार नहीं बल्कि 2 बार की है।