आपको बताएं कि भारत की नागरिकता छोड़ कर विदेशों की नागरिकता लेने वालों में अमेरिका का आकर्षण अभी तक नहीं घटा है। देश छोड़ने वालों का सबसे बड़ा आकर्षण अमेरिका के प्रति है। जबकि दूसरे स्थान पर कनाडा है और ब्रिटेन को पछाड़कर ऑस्ट्रेलिया नंबर तीन पर पहुंच गया है। चौथे स्थान पर ब्रिटेन के बाद पांचवा आकर्षण इटली है। विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार इस बार 87 हजार भारत वासियों ने विदेशी नागरिकता ले ली है। भारत से यह पलायन आश्चर्यजनक है।
अब तक करीब 5 करोड़ इंडियन विदेशों में जाकर बस चुके हैं। यह ब्रेन ड्रेन भारत के लिए फायदेमंद है या फिर दुखदाई? भारत कोई अमेरिका, ब्रिटेन या यूरोप जैसा विकसित देश नहीं, विकासशील राष्ट्र है। हमारे आईआईटी, आईआईएम और मेडिकल कालेजों से निकली प्रतिभा की देश को विकसित अमीर राष्ट्र बनाने के लिए हमें आवश्यकता है। हमें अपने वे सभी टेक्नोक्रेट्स चाहिएं जो पैसा कमाने के लिए विदेश जा रहे हैं।
क्या इस देश से सारी मेधा ग्रहण कर उसका लाभ देश को देने की उन्हें कोई जरूरत नहीं? क्या भारत में रहने वाले उनके माता पिता के लिए यह गर्व ही काफी है कि उनके बच्चे विदेशों में रहते हैं या ग्रीनकार्ड होल्डर हैं? क्या उस शस्य श्यामला भारत माता की उन्हें कोई चिंता नहीं जिसकी आजाद हवा में उन्होंने जन्म लिया?
अनुभव और ज्ञानार्जन के लिए बेशक कुछ समय विदेश जाइए, पर देश की खातिर फिर लौट आइए। प्रतिभा पलायन कम से कम भारत जैसे समस्या प्रधान विशाल देश के लिए अच्छा नहीं। स्वाधीनता दिवस पर यह चिंतन जरूरी है। यह ठीक है कि इस बौद्धिक पलायन के बावजूद भारत की आबादी विश्व में सर्वाधिक हो चुकी है। इसमें कोई शक नहीं कि करोड़ों युवा डाक्टर इंजीनियर देश में भी रहते हैं, यहां की विकास यात्रा में शामिल हैं।
हमारे इन्हीं युवाओं की बदौलत भारत की अर्थव्यवस्था ब्रिटेन को पछाड़ कर चौथे स्थान पर आ गई है। शीघ्र ही भारत विश्व में नंबर तीन बनने वाला है। फिर भी प्रतिभा पलायन को किसी भी देश के लिए अच्छा नहीं कहा जा सकता। कुछ दशक पहले तक आमतौर पर पंजाब और गुजरात से ही मेधा पलायन होता था। आज देश के गावों तक से हो रहा है।
अमृत महोत्सव मना रहा देश कल अपनी स्वाधीनता की 76 वीं वर्षगांठ मना रहा है। देश माने हम और आप। इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि आज का युवा देश की सड़ियल राजनीति, भाई भतीजावाद, हर स्तर पर भ्रष्टाचार, भारी टैक्स पॉलिसी आदि से तंग आकर भी विदेश भागता है। 76 सालों में भी सिस्टम बहुत नहीं बदला। वर्तमान सरकार के साढ़े नौ साल में भी यदि ग्राम पंचायत स्तर पर भारी भ्रष्टाचार है।
हर साल मुफ्त मुफ्त के रूप में देश का अरबों रुपया बहाने वाली सरकारें देश के करदाता को क्या देती हैं? क्या टैक्स प्यार को किसी भी फील्ड में एक प्रतिशत की भी छूट मिलती है? क्या करदाता सिर्फ देने के लिए है? क्या टैक्स दे रहा ईमानदार किसी भी फील्ड में छूट का अधिकारी नहीं? यदि नहीं है, तब तो निश्चित रूप से प्रतिभा पलायन होगा? स्वतंत्रता की वर्षगांठ पर देश की शिक्षित युवा पीढ़ी का पलायन रोकने का वक्त आ गया है। युवाओं की समस्याओं पर नए सिरे से कोई घोषणा लाल किले की प्राचीर से होनी जरूरी है।